(मनोज जायसवाल)
-शिक्षक दिवस पर गुरूजन हुुए सम्मानित। गढपिछवाडी कांकेर में हुआ आयोजन।
कांकेर(सशक्त पथ संवाद)। शिक्षक दिवस पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन के द्वारा शिक्षकों के सम्मान स्वरूप प्रदत्त है। गुरु हमारे मार्गदर्शक होते हैं। एवं गुरु से ही समाज ज्ञान प्राप्त करता है। आचार्य चाणक्य, गुरू वशिष्ठ जैसी विभूतियों ने देश व समाज का मार्ग प्रशस्त किया। ऐसे पूज्यनीय गुरूजन,शिक्षकों का सम्मान करना हम सब का दायित्व है, जिसे हम सब अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कर रहे हैं। उक्त बातें सरस्वती शिशु मंदिर गढपिछवाडी कांकेर में आयोजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से शिक्षा समिति के व्यवस्थाक अशोक राठी ने कही। उन्होंने आयोजन में अपनी एक कविता के माध्यम से भी सुंदर संदेश देते हुए कहा कि मै शिक्षक हूं। अज्ञान तिमिर का भक्षक हूं। मै ज्ञान का उपासक हूं। सघन मोह वन पावक हूू।

आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में कांकेर शिक्षा समिति के व्यवस्थापक अशोक राठी,ं कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति सह सचिव अजय जैन के द्वारा किया गया। मंच पर प्रमुख रूप से समिति के अध्यक्ष भरत मटियारा एवं उपाध्यक्ष रामशरण जैन के साथ ही प्राचार्य कैलाश कुमार तारक, वरिष्ठ आचार्य संतोष श्रीवास्तव, संतोष पाठक जीवन लाल गंगबेर,ललता अहरवाल, उत्तरा नायक, भी उपस्थित थे।
सर्वप्रथम मांँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया गया। तत्पश्चात उपस्थित समस्त अतिथियों व आचार्य गणों का विद्यार्थियों द्वारा सम्मान का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
समिति सह सचिव अजय जैन ने कहा कि जो हम डाँक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक देखते हैं, उन्हें तैयार करने में शिक्षकों की भूमिका होती है। शिक्षक ही अपने श्रेष्ठ ज्ञान से समाज को एक दिशा देते हैं। ऐसे गुरुजनों का स्थान सर्वाेपरि है। अतः गुरूओं के प्रति हमें सम्मान का भाव रखना चाहिए।
समिति के अध्यक्ष भरत मटियारा ने शिक्षकों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक हमें सही गलत का ज्ञान कराते हैं। एवं अपनी शिक्षा के माध्यम से हम सबको ऊंँचे स्थान तक ले जाते हैं। जिनसे हमें ज्ञान प्राप्त हो वे गुरूजन सदैव आदरणीय है। शिक्षकों के प्रति सदैव आदर एवं सम्मान का भाव हमें रखना चाहिए।
समिति के उपाध्यक्ष रामशरण जैन ने कहा कि शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान निश्चित ही पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन् की दूर दृष्टि सोच को अभिव्यक्त करता है। राधाकृष्णन् जी ने एक शिक्षक को महत्व प्रदान करते हुए शिक्षक दिवस का यह दिन हम सबको प्रदान किया। ताकि हम गुरूजनों का सम्मान कर सकें।
प्राचार्य कैलाश कुमार तारक ने कहा कि गुरु के प्रति सदैव आदर एवं सम्मान का भाव रखने से ही उनकी शिक्षा से हम अवगत हो सकते हैं और अपना जीवन सफल कर सकते हैं। गुरु जो ज्ञान देते हैं वह हमारे जीवन में काम आता है। सदैव आदर व सम्मान का भाव गुरुओं के प्रति रखना चाहिए।
वरिष्ठ आचार्य संतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता के माध्यम से बच्चों को संदेश दिया कि बच्चों तुमको बढ़ना ही होगा, नव जीवन गढ़ना ही होगा। इन निराशाओं के सागर में, आशाएँ रख तरना ही होगा।
इस अवसर पर किशोर तरुण भारती के भैया बहनों के द्वारा शिक्षकों के लिए एक आकर्षक आयोजन भी रखा गया था। हिमाद्री जैन ने गुरूवों के प्रति अपनी सहज भावनाओं से गुरू की महत्ता प्रतिपादित की।नन्ही बालिका लोमांशी देवांगन ने गुरू ब्रम्हा धुन पर नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए तरूण किशोर भारती के अध्यक्ष आदित्य राठौर एवं कन्या भारती की अध्यक्ष काव्यांजलि ने सभी अतिथिगण व गुरूजनों का आभार व्यक्त किया।







