‘‘कला गुरू श्री सम्मान 2025‘‘ से सम्मानित किये गये सुदामा पटेल

(मनोज जायसवाल)
कांकेर(सशक्त पथ संवाद )कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था, संस्कार भारती जिला इकाई कांकेर के तत्वावधान में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर श्रावण मास के तृतीय सोमवार  28 जुलाई  को श्री सत्य सांई सेवा सदन कांकेर में कला, साहित्य, संगीत, सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान तथा दीर्घकालीन सेवा हेतु ‘‘श्री सुदामा पटेल‘‘, सेवानिवृत्त शिक्षक को संस्कार भारती इकाई परिवार द्वारा ‘‘कला गुरू श्री सम्मान 2025‘‘ से सम्मानित किया गया है। 
सर्वप्रथम मंचस्थ अतिथियों द्वारा नटराज पूजन, दीप प्रज्जवल्लन एवं माल्यार्पण कर संस्कार भारती ध्येय गीत के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। छत्तीसगढ़ राज्यगीत का संगीतमय प्रस्तुति कला गुरू   सुदामा पटेल के शिष्यों द्वारा दी गई। गुरू पूर्णिमा का महत्व एवं स्वागत उद्बोधन श्री सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ साहित्यकार कांकेर द्वारा देते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, भारत में गुरुओं के सम्मान में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। गुरु वह व्यक्ति है जो हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है और जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करता है।
गुरु पूर्णिमा, महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाई जाती है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की। बौद्ध धर्म में, गुरु पूर्णिमा को गौतम बुद्ध द्वारा सारनाथ में अपने पहले शिष्यों को उपदेश देने के दिन के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म में भी, गुरु पूर्णिमा को भगवान महावीर द्वारा अपने पहले शिष्य गौतम गणधर को दीक्षा देने के दिन के रूप में मनाया जाता है। 
गुरू-शिष्य परम्परा का स्थापित करने के उद्वेश्य से कला गुरू श्री सुदामा पटेल के शिष्य श्री शत्रुघ्न सिन्हा एवं उनके समस्त साथियों लोक कला मंच, बागोडार द्वारा गुरू भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम अपने गुरू को समर्पित करते हुए प्रस्तुति दी गई। श्री सुदामा पटेल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत परिचय श्री अवधेश लारिया द्वारा दी गई। श्री सुदामा पटेल अपने जीवन काल में प्रारंभ से ही सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में अपनी सेवाऍ देते रहे है, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, आवश्यक सामाग्रियों की पूर्ति, संगीत की बुनियादी शिक्षा इत्यादि देते रहे, जिनका प्रतिफल रहा कि उनके शिष्यों विशेषकर श्री शत्रुघ्न सिन्हा को आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में प्रस्तुति हेतु बी. ग्रेड प्रतिपादित किया गया है। 350 से अधिक गीतों का प्रसारण, लोक कला मंच बागोडार की शताधिक मंचो पर प्रस्तुति।
दिल्ली में लोक कलाकारों की प्रस्तुति आदि उपलब्धि उनके शिष्यों का प्राप्त हुई है। उनके शिष्य   नोमेश सिन्हा जो कि मानस मंच के कुशल संचालक, व्याख्याकार एवं गीत लेखक हैं उनके द्वारा ‘‘कांकेर के सुघराई‘‘, ‘‘छत्तीसगढ़ के तिहार‘‘ आदि छत्तीसगढ़ी एल्बम बनाया गया है जिन्हें जन मानस द्वारा अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है।
कार्यक्रम में गुरू को समर्पित कविताओं का वाचन किया गया वहीं संगीतमय प्रस्तुति कार्यक्रम को उत्कर्ष की ओर ले गई। श्री शिवसिंह भदौरिया,   मोहन सेनापति श्रीमती मीरा आर्ची चौहान, श्रीमती मंजु शर्मा द्वारा गुरू वंदना एवं आत्म अभिव्यक्ति प्रस्तुत की गई। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. गीता शर्मा ने गुरू पूर्णिमा का महत्व, संस्कार भारती से संबद्वता एवं संस्कार मित्र बनने हेतु आग्रह करते हुए कला गुरू  सुदामा पटेल   के सुखद, स्वास्थ्य एवं स्वर्णिम भविष्य की कामना की। कार्यक्रम का संचालन रिजेन्द्र गंजीर एवं आभार अवधेश लारिया ने किया। कार्यक्रम में रामशरण जैन, मुरारी देवांगन, राजेश शुक्ला, अभिषेक मानिकपुरी, संतोष श्रीवास्तव, प्रदीप कदम, ललिता राजपूत, शैल कदम, उमा शर्मा, ममता गोसाई, सुधा चौरसिया, कनकलता जोशी,किरण देवांगन, गायत्री दुबे, अनिल मौर्य, कीर्तन सिंह राजपूत , गुलाब साहू, सोनु, हेमलाल मंडावी, आजूराम निषाद, अनिल निषाद, नारायण टांडिया, किशोर कुमार सिंह ठाकुर आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे
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