”अब जनप्रतिधियों में भेदभाव करने की गंदी नीयत”

(मनोज जायसवाल)

—जनपद सदस्य चिंता राम साहू के जनपद क्षेत्र में अतिथि लिस्ट में ना रख कर नीचा दिखाने की कोशिश ? सशक्त पथ संवाद में खबर लगने के बाद आयोजन की हुई किरकिरी।

कांकेर(सशक्त पथ संवाद)। किस तरह लोग लोकप्रिय होने की दौड में दौडते हुए खुद की फजीहत का ख्याल नहीं रखते और खुद कटघरे में आ जाते हैं,यह चारामा विकासखंड के ग्राम पलेवा ग्राम में जहां 05 नवंबर को कलार समाज के ईष्टदेव राजराजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन की जयंती का आयोजन पलेवा में  किया गया है, के आमंत्रण कार्ड को देख कर लगाया जा सकता है,जहां कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद सहित तमाम वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों का नाम अतिथिगणों की लिस्ट में लिखा गया है,लेकिन इसी जनपद पंचायत क्षेत्र के भारी मतों से विजयी  जनपद पंचायत सदस्य चिंता राम साहू जो सिर्फ एक जनप्रतिनिधी अपितु आसपास के गावों में प्रत्येक समाज एवं स्वयं अपने साहू समाज का वरिष्ठ पदाधिकारी भी है,को नीचा दिखाने की नीयत से जानबुझ कर नाम नहीं लिखा गया है। इसी तरह क्षेत्र के स्वयं के समाज के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के जिले के मुखर पत्रकार की भी इसी तरह उपेक्षा की गई है। इस प्रकार उपेक्षित वाली मानसिकता के साथ आयोजन होगा तो कौन इस आयोजन में जाना चाहेगा चाहे वो जनप्रतिनिधी हो या आम आदमी ǃ

चित्र—यह वो आमंत्रण कार्ड जो स्वयं जनप्रतिनिधियों के बीच भेदभाव को जन्म दे कर अवसाद भर रहा है।

गौरतलब है कि क्षेत्र के ग्राम पलेवा में सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती समारोह का आयोजन रखा गया है,जहां सामाजिक बंधुओं की संख्या कम होने को लेकर इस वर्ष अरौद,भैंसाकट्टा,पलेवा को मिला कर आयोजन रखने विचार किया गया। जिसमें सबने हामी भरी, लेकिन यह उक्त कार्ड जिसमें जानबुझ कर भेदभाव कर खुद जनता के बीच चुने जनप्रतिनिधी एवं पत्रकार को भी नीचे दिखाने खराब नीयत दिखाया गया । उक्त कार्ड अरौद में बांटे जाने के बाद से ही नाराजगी देखा गया। कई लोगों ने इस आयोजन में नहीं जाने का निर्णय लिया है। चुन-चुन कर जनप्रतिनिधियों को रखने की फेहरिस्त में बिना समाज के लोगों के बीच बनाये गये इस आमंत्रण में सभी गावों के सरपंचों को स्थान दिया गया लेकिन जिले के स्वावलंबी ऐतिहासिक दशहरा ग्राम अरौद  के युवा जागरूक,मुखर सरपंच को भी स्थान नहीं दिया गया। जिसके चलते कल 05 नवंबर के इस आयोजन में अभी से किरकिरी हो गई है। सोशल मीडिया में खबर चलने के बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस खबर से अनुमान लगाया जा सकता है कि सामाजिक सौहार्द्रता किस प्रकार से गावों में लोगों के बीच राजनीति हावी होते संकीर्णता की ओर पूरी तरह अग्रसर है, खुद संकीर्णता के साये में रहकर भाई-भाई को बांटने का काम किया जा रहा है।

कल 05 नवंबर को पलेवा,भैंसाकट्टा,अरौद द्वारा ग्राम पलेवा में राज राजेश्वर भगवान सहस्त्रबाहु जयंती मनाया जा रही है,जहां आमंत्रण कार्ड में समाज के अंदर से ही जिला पंचायत सदस्य श्रीमती तेजेश्वरी गब्बर सिन्हा का नाम तो लिखा गया पर इसके बाद दरअसल क्षेत्र के जनपद सदस्य का नाम होना चाहिए लेकिन जनपद सदस्य चिंता राम साहू का नाम व्यक्तिगत द्वेश के चलते नहीं लिखा गया। लोकतंत्र में जीत हार लगी होती है,किसी भी एक प्रत्याशी का जीत निश्चित है। लोगों के बीच सुख दुःख में साथ देने वाले लोकप्रिय प्रत्याशी जो काम आता है निश्चित रूप से उसे जनता का आशीर्वाद मिलता है,लेकिन यदि चुनावी समय को याद कर यदि जनपद सदस्य चिंता राम साहू के साथ ऐसा किया गया है तो यह बिल्कुल ही उचित नहीं है। जनता के बीच,समाज के अंदर सबके हितों के लिए कार्य करते हुए सहयोग की भावना के साथ लगे रहें तो आज नहीं तो कल सफलता कदम चुमेगी लेकिन इस प्रकार भेदभाव की नीयत हो खुद के साथ समाज में भाई-भाई को बांटने की गंदी नीयत हो तो खासकर राजनीति एवं समाजक्षेत्र में कभी सफलता नहीं मिलने वाली।

बताते यह भी चलें कि जिला पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य वर्ग के जनप्रतिनिधियो सहित पूर्व जनपद सदस्य का नाम भी अंकित है,लेकिन वर्तमान में इस क्षेत्र के जनपद सदस्य चिंता राम साहू जो कि भारी मतों से इस क्षेत्र में विजयी हुए हैं, का नाम जानबुझ कर अतिथिगणों की सुची में नहीं लिखा गया है,जो कि एक तरह से भेद विभेद करने वाली नीति और सोच को प्रदर्शित करता है।

चुनाव के हार जीत में किसी का निजी बैर हो सकता है,लेकिन सार्वजनिक कार्यक्रम में इस प्रकार से जब वर्तमान जनपद सदस्य के ही जनपद क्षेत्र के गांव में आयोजन हो रहा हो और उनका नाम सहित अन्य प्रबुद्वजीवियों का नाम ना हो तो यह भेदभाव की कुत्सित मानसिकता रखने वाले कभी आगे नहीं बढ सकते। इस प्रकार के विचारों का विरोध किया जाना चाहिए। आपका निजी बैर अपने में होगा पर इस प्रकार की सोच आमंत्रण कार्ड तक जो परिलक्षित हो रहा है,वो सामाजिक समरसता के क्षेत्र में सबके लिए निंदनीय ही होगा। इस प्रकार के भेदभाव को देखते हुए कई लोग इस आयोजन में नहीं जाने का विचार कर रहे हैं, उनका कहना है इस प्रकार का विचार समाज को जोडने का नहीं अपितु तोडने का है। यह आयोजन उन्हें ही सलाम है।

 

चिंता राम साहू ने क्या कहा?
”सशक्त पथ संवाद” से तत्संबंध में चर्चा करते हुए क्षेत्र के जनपद सदस्य चिंता राम साहू ने कहा कि-वे इस क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहते हैं,वो किसी एक गांव का आयोजन होता और नहीं पूछते तब कोई दुःख नहीं होता। तब और भी दुःख नहीं होता कि जब उनके ही समाज के जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया होता। लेकिन जब सभी वर्ग के जनप्रतिनिधियों को अतिथि बनाया गया और उन्हें उपेक्षित किया गया तो निश्चित रूप से दुःख होगा। हम हमेशा सभी समाजों के बीच कार्य करते हैं,अपने से जो बन पडता है,सहयोग करते हैं,लेकिन इस प्रकार की उपेक्षित भेदभावपूर्ण विचारों का उन्हें दुःख हुआ है। अब उनका समाज है,वे जो भी करें हमें बोलने का अधिकार नहीं है,पर हमें हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि सामाजिक समरसता ना बिगडे।

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