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08 अगस्त 2025 शुक्रवार
✍️मनोज जायसवाल
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संपादकीय-
आज कुछ लोग चाहते हैं कि कर्म ही न करना पड़े और किसी चमत्कार से सब कुछ हो जाए, जो कि हर्गिज संभव नहीं है। पाखंडी बाबाओं की पोल खुलने जगजाहिर होने के बावजूद अंधभक्तता इतनी है कि वे इसे झूठ साबित करने पर तुले रहते हैं।
धर्मांतरण भी ऐसे ही चमत्कार की परिणिती है जहां सुदूर गांव के भोले भाले कम पढ़े लिखे लोगों के बीच तरह तरह के मंत्रोचारण एवं कथा पूजन का भ्रम फैला कर उनके जीवन में चमत्कार होने की बात रटाया जाता ह,ै जिसका ही प्रतिफल होता है कि इसके अतिरिक्त कोई उनके अच्छाई के लिए भी बात करे तो वह इसे स्वीकार करने कतई सहमत नहीं रहता।
एक यही क्षेत्र था कि ईश्वर की भक्ति के लिए ईश्वर तक जाने के लिए कोई दलाल की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन यह सब देखें तो कई प्रकार के ऐसे लोगों के फेर में पड़े हैं जो सीधे ईश्वर से साक्षात मिलाने का दावा कर रहे हैं। सुदूर गावों में तो कई ओझा गुनिया तथा कई गावों में तथाकथित देवी बने पुरूष रूपी महिला को तल्ख कारणों से पूजे जा रहे हैं।
साधारण सी कहीं किसी को सर्दी खांसी ज्वर आ रहा है तो इन मोबाईल धारी पाखंडी बाबाओं और तथाकथित देवी रूपी अम्माओं को फोन कर रहे होते हैं जहां ठीक हो जाएगा कह कर झूठी आश्वासन देने के बाद लोग बेफिक्र हो जाते हैं। sociological प्रभाव पडता है और वो सोचता है कि यह उस शक्ति के ही कारामात है।
अपना काम छोड़ कर ऐनकेन इस प्रकार चमत्कार के फेर में नहीं पड़ना चाहिए। आश्चयर्स तब लगता है जब इसमें पढ़े लिखे लोगों की सहभागिता देखने मिलती है। जो स्वयं जगह जगह मंचों में अंधश्रद्वा मिटाने की भाषण बाजी करते देखे जाते हैं। धन्य है….
-मनोज जायसवाल
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टीप — खबर लिखे जाने अभी तक हमारे पास किसी अप्रिय घटना दुर्घटना की खबर नहीं है।🙏
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