यदि शिक्षकों की पदस्थापना गलत है,अतिशेष पदस्थापना करने वाले अधिकारी सही हैं ?-फेडरेशन

—शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण नीति से शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ना-राजेश चटर्जी

रायपुर(सशक्त पथ संवाद)।   छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं जिलाध्यक्ष बस्तर डॉ अखिलेश त्रिपाठी ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण के आड़ में शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ना दिया जा रहा है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में युक्तियुक्तकरण के आड़ में स्थानांतरण का खेल चल रहा है।

शिक्षकों का आर्थिक शोषण हो रहा है। फेडरेशन का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के अधीन छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार समय-समय पर प्रकाशित शिक्षा विभाग के सेवा भर्ती पदोन्नति नियमों (छत्तीसगढ़ राजपत्र) के अनुसूची-एक में कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) नियुक्ति प्राधिकारी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा भर्ती नियमों (छत्तीसगढ़ राजपत्र) के नियम-6 में भर्ती के तरीका में प्रकार (क)चयन/सीधी भर्ती (ख)पदोन्नति (ग)स्थानांतरण/प्रतिनियुक्ति (घ)संविलयन द्वारा का उल्लेख है। सेवा भर्ती नियमों के अनुसूची-एक (नियम-5) में नियुक्ति प्राधिकारी अथार्त नियुक्ता का उल्लेख है। उक्त अनुसूची में कलेक्टर अथवा अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) का उल्लेख नहीं है। युक्तियुक्तकरण का प्रक्रिया स्थानांतरण अंतर्गत आता है। नियमों के अनुसार जिला/विकासखंड स्तरीय युक्तियुक्तकरण समिति में नियुक्ति प्राधिकारी/विभागीय अधिकारी के अतिरिक्त अन्य को अध्यक्ष बनाया जाना असंवैधानिक है।उन्होंने बताया कि प्राचार्य का नियुक्ता राज्य शासन,व्याख्याता का संचालक, प्रधानपाठक पूर्व माध्यमिक तथा शिक्षक का संयुक्त संचालक एवं प्रधानपाठक प्राथमिक शाला तथा सहायक शिक्षक के लिये जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्ति प्राधिकारी हैं।लेकिन युक्तियुक्तकरण में सेवा संवर्ग पद अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी के द्वारा आदेश जारी नहीं हुआ है। जोकि सेवा भर्ती नियम का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा सचिव का युक्तियुक्तकरण निर्देश एक परिपत्र है।जोकि सेवा भर्ती नियम (छत्तीसगढ़ राजपत्र) को अधिक्रमण(supersede) नहीं कर सकता है।

फेडरेशन का कहना है कि राज्य के लगभग सभी जिलों तथा विकासखंड कार्यालयों में तैयार किये गये युक्तियुक्तकरण सूची में व्यापक गड़बड़ी अथवा पक्षपात अथवा नियमों का मनमर्जी व्याख्या करने का मामला उजागर हो रहा है। जारी किये जा रहे आदेश,एक प्रकार से शिक्षकों को काला पानी की सजा दिया गया है।यहाँ तक कि कैंसर जैसे गंभीर बीमारी/शारिरिक अस्वस्थता से ग्रसित शिक्षकों को दुर्गम स्थानों के विद्यालयों में भेजकर अमानवीय व्यवहार किया गया है।कहीं पर विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक संवर्ग के नियुक्ति का आधार विषय के आधार पर अतिशेष का गणना किया गया है तो कहीं पढ़ाये जा रहे विषय के आधार पर अतिशेष चिन्हांकन विकासखंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालयों में किया गया है।जिसके कारण निलंबन की कार्यवाही करना पड़ रहा है। प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण दिनाँक के आधार पर कनिष्ठतम के निर्धारण में हेराफेरी हुआ है। मिडिल स्कूल में विषय शिक्षकों (प्रधानपाठक सहित) का चक्रानुक्रम (1)अंग्रेजी(2)गणित (3)कला (4) विज्ञान (5) हिंदी (6) संस्कृत/उर्दू/वाणिज्य का मनमानी व्याख्या कर अतिशेष किया गया है। गौरतलब है कि मिडिल स्कूल में वाणिज्य विषय ही नहीं है। लेकिन इस विषय के आधार पर अतिशेष के गणना में बचाया गया है। हाई/हायर सेकंडरी स्कूल(udise) में विषयवार स्वीकृत पदों में कार्यरत व्याख्याता को अतिशेष बनाया गया है ! जोकि गलत है।

 

प्रश्न यह है कि क्या यह विषय रिक्त पद खाली रहेगा या समाप्त हो जायेगा या अन्य विषय शिक्षक की पदस्थापना होगी ? यदि किसी विद्यालय में विषय व्याख्याता पदस्थ था तो उस विद्यालय में उसी विषय व्याख्याता के पद पर संविदा/परिवीक्षा/अन्य की नियुक्ति का दोषी कौन है? युक्तियुक्तकरण सिर्फ सरकारी स्कूलों में विषय शिक्षक उपलब्ध नहीं रखने का सुनियोजित युक्ति है। इससे प्राइवेट स्कूलों को लाभ होगा।सरकारी स्कूलों में पर्याप्त विषय शिक्षक उपलब्ध नहीं रहेंगे धीरे धीरे सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी पढ़ने नहीं आयेंगे। सरकारी स्कूल बंद होंगे ! इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या वित्त विभाग के स्वीकृति दिनाँक 10/03/2008 एवं 08/05/2008 (ई संवर्ग) तथा 11/09/2008 (टी संवर्ग) द्वारा प्राथमिक,पूर्व माध्यमिक, हाइस्कूल तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों के इकाई वार सेटअप 2008 में कटौती करने की स्वीकृति वित्त विभाग से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है ?
क्या अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से सभी शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय विद्यालयों में सहायक शिक्षक/शिक्षक/व्याख्याता की पदस्थापना हो गई है ?

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